
अर्जुन रौतेला संवादाता। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ पांडे गुट ने प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ. भोज कुमार शर्मा के नेतृत्व में महानिदेशक स्कूल शिक्षा लखनऊ के समर कैंप लगाने वाले आदेश का विरोध करते हुए जनपद आगरा के विद्यालयों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य किया।
डॉ. भोज कुमार शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( NEP ) 2020 के परिपेक्ष्य में माध्यमिक विद्यालयों में समर कैंप अनिवार्य कर दिए गए हैं तो फिर उत्तर प्रदेश शासन को माध्यमिक विद्यालयों का 21 मई से 30 जून तक का होने वाला ग्रीष्मावकाश पूर्णतः समाप्त कर देना चाहिए और बारह महीने माध्यमिक विद्यालयों को खोलकर प्रधानाचार्यों / शिक्षकों / शिक्षिकाओं को कर्मचारियों की तरह 31 दिन का उपार्जित अवकाश प्रदान किया जाना चाहिए।
उप्र शासन को चाहिए कि डीएलएड की परीक्षा और उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, आईटीआई , पॉलिटेक्निक, टेट, उप्र लोक सेवा आयोग, नीट, इंजीनियरिंग सहित अन्य विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का शेड्यूल इस तरह से बनाए कि उक्त परीक्षाएं भी 21 मई से 30 जून के मध्य माध्यमिक विद्यालयों में संपन्न कराएं ताकि माध्यमिक विद्यालयों में बनने वाले परीक्षा केंद्रों के विद्यालयों और उन परीक्षा केंद्रों पर अन्य विभिन्न माध्यमिक विद्यालयों से लगाए गए कक्ष निरीक्षकों के विद्यालयों में पढ़ाई के समय विद्यार्थियों का पठन पाठन जो अवरुद्ध होता है , वह विद्यार्थियों की पढ़ाई का व्यवधान रुक सके। शिक्षा महानिदेशक के 07 मई 2025 के आदेश पत्र में उल्लेख किया है कि विद्यार्थियों के समग्र विकास हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( NEP ) 2020 के परिपेक्ष्य में उप्र के समस्त माध्यमिक विद्यालयों में ग्रीष्मावकाश के दौरान दिनांक 21 मई से 10 जून 2025 तक विद्यालयों में नई खोज , खेल-खेल में सीखने हेतु समर कैंप का आयोजन किया जाएग जबकि शिक्षा अधिनियम 1921 में प्रधानाचार्यों / शिक्षकों / शिक्षिकाओं / विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मावकाश की व्यवस्था की गई है जिसकी वजह से प्रधानाचार्यों / शिक्षकों / शिक्षिकाओं को वर्ष भर में मात्र 01 उपार्जित अवकाश मिलता है वहीं 21 मई से 30 जून तक माध्यमिक विद्यालयों में लगातार कार्य करने वाले लिपिकों एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को उपार्जित अवकाश 31 दिन का मिलता है। अतः उप्र शासन जब गर्मी की भयंकरता को देखते हुए भी विद्यार्थियों की नियमित पढ़ाई से भिन्न रोचक गतिविधियों का आनंद ले संके के लिए 21 दिन का ( 21 मई से 10 जून तक ) समर कैंप माध्यमिक विद्यालयों में लगवाने के लिए प्रतिबद्ध है तो उत्तर प्रदेश शासन को चाहिए कि माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यों, शिक्षकों एवं शिक्षिकाओं के ग्रीष्मावकाश को समाप्त कर उनको बारह महीने विद्यालयों में बुलाने लगे। शासन को चाहिए कि वह मई- जून के माह में ही माध्यमिक विद्यालयों में टेट, आईटीआई, डीएलएड की परीक्षा एवं उनकी उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, पॉलिटेक्निक, नीट, इंजीनियरिंग, लोक सेवा आयोग सहित विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को माध्यमिक विद्यालयों में कराना प्रारंभ करा दे ताकि अन्य पढ़ाई के महीनों में माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों की पढ़ाई में होने वाला गतिरोध भी समाप्त हो सके।
डॉ. भोज कुमार शर्मा ने कहा कि दूसरी तरफ कर्मचारियों की तरह जब प्रधानाचार्यों / शिक्षकों / शिक्षिकाओं को 31 दिन का वर्ष में उपार्जित अवकाश मिलने लगेगा तो वे अपने 31 दिन के उपार्जित अवकाश का उपयोग वर्ष भर में अपने परिवार में होने वाली सुख और दुख की घटनाओं में करने लगेंगे । वैसे भी विगत तीन चार वर्षों से प्रधानाचार्यों , शिक्षकों और शिक्षिकाओं के उपर ग्रीष्मावकाश में समर कैंप को लेकर अनिश्चितता बनी रहती है । माध्यमिक विद्यालयों के अधिकांशतः प्रधानाचार्य , शिक्षक और शिक्षिकाएं बाहरी जनपदों के होने की वजह से कई महीनों पहले ग्रीष्मावकाश में अपने गृह जनपद घर जाने के लिए ट्रेनों में अपना अपना रिजर्वेशन करा लेते हैं किंतु समर कैंप की वजह से उनकी सारी व्यवस्थाएं बिगड़ जाती है ।
जिला अध्यक्ष लक्ष्मी रानी शर्मा ने कहा कि
प्रधानाचार्यों के समक्ष भी यक्ष प्रश्न पैदा होने लगता है कि वे किस शिक्षक और किस शिक्षिका को समर कैंप में बुलाए क्योंकि सहजता , सरलता और स्वेच्छा से कोई भी शिक्षक या कोई भी शिक्षिका समर कैंप में आना नहीं चाहते हैं जिसकी वजह से विद्यालयों में प्रधानाचार्यों और शिक्षकों / शिक्षिकाओं में आपस में बेवजह मन मुटाव पैदा हो जाते हैं । अतः सबसे अधिक उत्पीड़न इस व्यवस्था में माध्यमिक विद्यालयों के सभी प्रधानाचार्यों का हो रहा है क्योंकि सभी कार्यों को संपादन कराने के लिए प्रधानाचार्य ही जिम्मेदार रहते हैं ।
एक तरफ प्रधानाचार्य का मूल पद शिक्षक माना जाता है किंतु जब ग्रीष्मावकाश की बात आती है तो प्रधानाचार्यों को शिक्षकों और शिक्षिकाओं की तरह मिलने वाले ग्रीष्मावकाश से वंचित किए जाने का कुप्रयास किया जाता रहता है इसके विपरीत जब ग्रीष्मावकाश में प्रधानाचार्य अपने अपने विद्यालयों में आते हैं तो प्रधानाचार्यों को उनके ही क्लर्कों एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तरह 31 दिन का उपार्जित अवकाश भी नहीं दिया जाता है । प्रधानाचार्यों के साथ यह अजीब विडंबना देखने को मिल रही है ।
जिला मंत्री भीष्म पाल सिंह ने कहा है कि समर कैंप यदि तीन दिन या पांच दिन का व्यवहारिक रहता तो इस विषय पर विचार भी किया जाता किंतु जब समर कैंप 21 दिन का निर्धारित किया गया है तो इस समस्या का एक ही निदान बचता है कि माध्यमिक विद्यालयों में अब शासन बारह महीने प्रधानाचार्यों , शिक्षकों और शिक्षिकाओं से कार्य ले और प्रधानाचार्यों, शिक्षकों और शिक्षिकाओं को वर्ष में 31 दिन का उपार्जित अवकाश प्रदान किए जाएं।
आज का विरोध करने वालों में भीष्मपाल सिंह, राहुल शर्मा, श्वेता कुलश्रेष्ठ, हरिओम शर्मा ,चूड़ामणि सिंह, श्वेता शर्मा, हरीश चौरसिया, राघवेंद्र सिंह, धीरज सिंह धाकड़ शाहिद रजा आदि उपस्थित रहे।
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