
*रिवाज संस्था द्वारा केन्द्रीय कारागार आगरा में कैदियों को समर्पित योग कार्यक्रम का शुभारंभ — 21 जून तक चलेगा विशेष शिविर*
आज दिनांक 18 जून 2025 को आगरा के केन्द्रीय कारागार परिसर में एक विशेष और प्रेरणादायक पहल का शुभारंभ हुआ। सामाजिक सेवा में सदैव अग्रणी भूमिका निभाने वाली *रिवाज संस्था* ने कैदियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने हेतु सप्ताहव्यापी योग शिविर की शुरुआत की। यह कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) की पूर्व संध्या पर आयोजित किया गया है और यह क्रम दिनांक 21 जून 2025 तक लगातार चलेगा।
कार्यक्रम की शुरुआत प्रातः 7 बजे की गई, जिसमें जेल प्रशासन, रिवाज संस्था के सदस्य, योग प्रशिक्षक तथा सैकड़ों कैदियों ने सहभागिता की। इस योग शिविर का संचालन योग गुरु श्री मुरारी प्रसाद अग्रवाल एवं अजय वर्मा द्वारा किया जा रहा है, जो कि योग विज्ञान और आध्यात्मिक साधना के क्षेत्र में वर्षों का अनुभव रखते हैं।
*मानवता के लिए योग – रिवाज संस्था की प्रेरक पहल*
रिवाज संस्था की संस्थापक मधु सक्सेना ने इस पहल को ‘मानवता के लिए योग’ अभियान का एक हिस्सा बताया। उन्होंने कहा,
हम मानते हैं कि जेल में रह रहे बंदी भी समाज का हिस्सा हैं। उनके जीवन में सुधार और मानसिक शांति लाने हेतु योग एक सशक्त साधन बन सकता है। हमारा उद्देश्य केवल व्यायाम नहीं, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मकता, अनुशासन और आत्मविश्लेषण का संचार करना है।
इस अवसर पर संस्था से जुड़े प्रमुख कार्यकर्ता – स्वतंत्र कुमार, महेश सारस्वत, राहुल बंसल, ऋचा गर्ग, श्वेता वर्श्नेय, सौम्या कौशल, हरीश शर्मा उर्फ़ गुड्डू भाई, कंचन सिंह, महेश दीक्षित, प्रदीप कुमार, सुशील कुमार गुप्ता, पवन कुमार अग्रवाल, प्रेम बत्रा, अमित अग्रवाल, मनीष बंसल और संजीव शर्मा – सभी ने कार्यक्रम में भाग लिया और योगाभ्यास में कैदियों का मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम के दौरान योग के प्रमुख आसनों – जैसे ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, कपालभाति तथा ध्यान अभ्यास – को शामिल किया गया। योग प्रशिक्षकों ने प्रत्येक आसन की शारीरिक एवं मानसिक लाभों को विस्तार से समझाया। विशेष रूप से ध्यान (Meditation) एवं प्राणायाम के अभ्यास ने कैदियों को एक नई ऊर्जा और आंतरिक शांति का अनुभव कराया।
कैदियों के बीच इस आयोजन को लेकर उत्साह देखा गया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम उनके मानसिक तनाव को कम करने और आत्मावलोकन की भावना को जाग्रत करने में सहायक सिद्ध हो रहा है।
एक कैदी ने कहा:
पहली बार ऐसा अनुभव हुआ कि हमारे लिए भी कोई सोचता है। योग करते समय मन में जो शांति मिली, वो शब्दों में नहीं कही जा सकती।
कार्यक्रम में जेल अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया और संस्था के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। जेल अधीक्षक ने कहा:
रिवाज संस्था द्वारा शुरू किया गया यह योग शिविर न केवल कैदियों के शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करेगा, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह एक अनुकरणीय पहल है, जिसे भविष्य में और अधिक विस्तार दिया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे यह भी बताया कि इस तरह के आयोजनों से कैदियों की सोच में बदलाव आता है और पुनर्वास की प्रक्रिया में मदद मिलती है। जेल प्रशासन ने भविष्य में ऐसे और कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए रिवाज संस्था को आमंत्रण भी दिया।
रिवाज संस्था का मानना है कि योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह जीवन की कला है। जेल जैसे स्थानों में, जहां मानसिक तनाव, अपराधबोध और आक्रोश का वातावरण रहता है, वहां योग सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यह आत्मसाक्षात्कार और जीवन को एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा देता है।
संस्था द्वारा इस कार्यक्रम को नियमित रूप से विभिन्न जेलों में आयोजित करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए वे समाज के जागरूक नागरिकों, योगाचार्यों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सहयोग की अपेक्षा भी रखती है।
योग कार्यक्रम के पश्चात, रिवाज संस्था की टीम ने कैदियों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिए:
पौष्टिक और संतुलित आहार लेना
नियमित दिनचर्या का पालन
नशामुक्त जीवन जीने की शपथ
सकारात्मक सोच और दूसरों के प्रति करुणा
आत्मविकास के लिए पुस्तकें पढ़ना और नई चीजें सीखना
इन सुझावों को सुनते समय कैदियों की आँखों में आशा की झलक साफ़ देखी जा सकती थी।
रिवाज संस्था इस कार्यक्रम को केवल योग दिवस तक सीमित नहीं रखना चाहती। उनका लक्ष्य यह है कि जेलों में नियमित योग सत्र चलें। साथ ही, कैदियों के पुनर्वास, शिक्षा, मानसिक परामर्श, और कौशल विकास के क्षेत्रों में भी संस्था विशेष योगदान देना चाहती है।
इसके लिए संस्था सरकारी विभागों, अन्य सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों के साथ मिलकर कार्य कर रही है। वे मानते हैं कि परिवर्तन की शुरुआत वहां से होती है जहाँ सबसे अधिक अंधकार होता है — और जेल, उस अंधकार में उम्मीद की एक रेखा बन सकता है।
रिवाज संस्था द्वारा शुरू किया गया यह योग शिविर न केवल कैदियों के जीवन में एक नई रोशनी लेकर आया है, बल्कि समाज को भी यह सन्देश देता है कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी परिस्थिति में हो, बदलाव और सुधार का अधिकारी है। समाज को ऐसे प्रयासों की आवश्यकता है जो न केवल अपराध को दंडित करें, बल्कि उसे समझें, और सुधार के मार्ग पर अग्रसर करें।
रिवाज संस्था की यह प्रेरक पहल समाज के लिए एक मिसाल है – एक ऐसा कदम जो दिलों को जोड़ता है, आत्मा को शांत करता है और जीवन को एक नई दिशा देता है।





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