कई जीव-जन्तु अंडे देते हैं लेकिन जब भी अंडे की बात होती है तो मुर्गी के अंडे ही दिल-दिमाग में आते हैं. इन अंडों की यात्रा बहुत शानदार है. भारत में भी बहुत बड़ी संख्या में लोग मुर्गी के अंडे खाते हैं.
विकास इतना हुआ कि अब तो अंडों में शाकाहारी और मांसाहारी होने लगे. अंडे के छिलके को छोड़कर बाकी हिस्से को सेहत के लिए भी बेहतरीन बताया जाता है.
भारत में जहां अंडा अलग-अलग इलाकों में 6 से 7 रुपये में बिक रहा है. वहीं, पड़ोसी देश पाकिस्तान में अंडे इतने मंहगे हो चले हैं कि जनता त्राहिमाम कर रही है. 15 जनवरी को 33 पाकिस्तानी रुपये से ज्यादा कीमत देने पर एक अंडा मिल रहा है. आइए इसी बहाने अंडे का इतिहास जानने की कोशिश करते हैं. आखिर यह आया कहां से? कैसे इसने तरक्की की? अब देश में कितनी खपत है?
मुर्गी पालन साढ़े सात हजार साल इस पूर्व शुरू होने का अनुमान
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दुनिया में साढ़े सात हजार साल ईसा पूर्व मुर्गियों को अंडे के लिए पालने का
सिलसिला शुरू हुआ था. मुर्गियों को अत्याधुनिक दुनिया से रूबरू कराने का काम यूरोपियन्स ने किया. करीब 1500 ईसा पूर्व मुर्गियां मिस्र और 800 ईसा पूर्व ग्रीस पहुंचीं. यहीं से भारत और चीन जैसे देशों में इनका प्रवेश हुआ. पॉल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर कहते हैं कि भारत में फार्म में पल रहे मुर्गी-मुर्गे 1960 के दशक में अमेरिका से आए हैं. लेकिन देशी मुर्गे-मुर्गियां हजारों सालों से अपने ही देश में पल-बढ़ रहे हैं. देशी मुर्गियों के अंडे आज भी बाजार में काफी मंहगे दरों पर मिल रहे हैं. एक व्यापारी नासिर ने बताया कि असील प्रजाति के अंडे सौ-सौ रुपये में मिल रहे हैं. कड़कनाथ प्रजाति का मुर्गा चार-चार हजार रुपये किलो तक बिक जाता है.
पहले मुर्गी आई या अंडा?
आए दिन स्कूल से लेकर कॉलेज और अन्य क्विज में पूछा जाने वाला बेहद लोकप्रिय सवाल भी अंडे से ही जुड़ा हुआ है. लोग पूछ बैठते हैं कि पहले मुर्गी आई या अंडा? इसका जवाब हाल ही में ब्रिटेन की शेफील्ड और वारविक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने स्पष्ट कर दिया है. इनके मुताबिक, पहले मुर्गी और मुर्गा ही आए हैं. अंडे का विकास बाद में हुआ है. अब तो यह यात्रा इतनी आगे निकल गई है कि अंडे की खेती पूरी दुनिया में होने लगी है. बड़े-बड़े फार्म भारत समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में खुल गए हैं. ब्रिसटल और नानजिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मुर्गी-मुर्गा-अंडा पर थोड़ा और प्रकाश डाला. उनका स्पष्ट मत है कि पहले मुर्गी बच्चे को जन्म देती थी. अंडे का विकास बाद में हुआ है.
अंडा शाकाहारी या मांसाहारी?
अंडे के प्रेमी यह कहने लगे हैं कि जो मुर्गी बिना मुर्गे के संपर्क में आए अंडे देती है, वह शाकाहारी होता है. वहीं, मुर्गे के संपर्क में आने के बाद मुर्गी जो अंडे देती है, वह मांसाहारी है. इसमें एक तर्क यह भी है कि बिना मुर्गे के संपर्क में आने वाले अंडे में भ्रूण नहीं होता, इसलिए भी वह शाकाहारी हुआ.
भारत में है रोज 25 करोड़ अंडों की खपत
इस समय देश में करीब 30 करोड़ मुर्गियां अंडा देने के इरादे से पाली जा रही हैं. इनमें से 25 करोड़ ऐसी हैं जो लगभग रोज अंडे देती हैं. अंडों की यह साइकिल देश में अंडों की खपत पूरी करती है. अंडे देने वाली एक मुर्गी की कीमत इस समय 400 से 500 रुपये है. नेशनल एग कोओर्डिनेशन कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में अंडा प्रेमी बढ़े हैं. साल 1950-51 में जहां देश में हर साल प्रति व्यक्ति के हिस्से सिर्फ पांच अंडे आते थे तो अब यह संख्या 95 हो गई है. पॉल्ट्री संचालकों की कोशिश इसे डेढ़ सौ से ऊपर लेकर जाने की है.
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