*बरसीं नहीं केवल राहत की बूँदें, बरसी है मेरी आस भी.. बरसा है मेरा विश्वास भी..*
*साहित्य साधिका समिति की पावस काव्य-गोष्ठी में बही रसधार*
आगरा। साहित्य साधिका समिति, आगरा की जुलाई माह की पावस-गोष्ठी सोमवार को नागरी प्रचारिणी सभा के पुस्तकालय भवन में प्रज्ञा गौरव की सरस्वती वंदना- “माँ शारदे!शत-शत नमन“ से प्रारंभ हुई।अध्यक्षता डॉ.प्रभा गुप्ता ने की। मुख्य अतिथि रहीं राजकुमारी चौहान और विशिष्ट अतिथि बनी डॉ.नीलम भटनागर, जिन्होंने प्रेमचन्द पर विशेष वक्तव्य दिया।
प्रथम सत्र में प्रेमचन्द जी की कहानी ‘मन्त्र ‘का पाठ डॉ.रमा रश्मि ने और ‘पंच परमेश्वर ‘कहानी का पाठ राजकुमारी चौहान ने किया, जिन पर सदस्याओं ने अपने विचार व्यक्त किए।
दूसरे सत्र में सभी सदस्याओं ने अपनी पावस के रंग में रंगी कविताओं से एक दूसरे का मन मुदित किया। डॉ. सुषमा सिंह ने सुनाया- बरसीं नहीं केवल राहत की बूँदें। बरसी है मेरी आस भी। बरसा है मेरा विश्वास भी..
यशोधरा यादव ने प्रेमचन्द के लिए कहा- “ किया जिसने साहित्य का आचमन है। कलम के सिपाही को शत-शत नमन है..”
नीलम रानी गुप्ता ने मेघ बरसो कुछ इस तरह कि छुपा सकूँ अपने आँसू.. डॉ.प्रभा गुप्ता ने कारे-कारे मेघा घिर आए रिमझिम पड़त फुहारें.. और चारुमित्रा ने पढ़ी गद्य की रसधार मन्द। ऐसी कहानियाँ लिखते थे प्रेमचन्द ..
डॉ. पूनम तिवारी, रेखा शर्मा, नीलम रानी गुप्ता, डॉ. रेखा गौतम, नूतन अग्रवाल, माया अशोक, डॉ.शुभदा पाण्डेय, प्रेमलता मिश्रा, निधि लहरी, नन्दिनी लहरी, भावना मेहरा और सुषमा सिंह द्वितीय की उपस्थिति ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।संचालन यशोधरा यादव ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ.सुषमा सिंह ने किया।
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