आगरा संवादाता अर्जुन रौतेला। शहर की प्रतिष्ठित संस्था गुनगुनाती ज़िंदगी द्वारा एक सुरों से सजी महफिल “जिंदगी के सात रंग” का आयोजन एक पहल पाठशाला में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डा रेणुका डैंग, एक पहल के निर्देशक मनीष राय द्वारा किया गया। एक पहल के बच्चो द्वारा एक नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके बाद एक का बाद एक सुरीले गीतों से संस्था के सदस्य वीना छाबरा, संगीता अग्रवाल, अंजलि खुशलानी, डा संजीव बोहरा, दर्शन अरोड़ा अनुराग किशोर, अजय श्रीवास्तव, राजू सक्सेना ने सभा को गुंजायमान किया। संस्था की अध्यक्ष डॉ. रश्मि त्रिपाठी द्वारा संस्था के उद्देश्य का उल्लेख किया गया। संगीत के साथ समाज सेवा हमारी संस्था का मुख्य उद्देश्य है। संगीत एक थेरेपी है जिस से कई तरह की परेशानी से मुक्ति मिलती है।
एक पहल के बच्चो ने भी कार्यक्रम का पूरा आनंद उठाया। एक पहल पाठशाला के संस्थापक मनीष राय ने पाठशाला के बारे में जानकारी दी कि यहां पर 300 बच्चों को निशुल्क शिक्षा, गणवेश और पुस्तकों का प्रबंध स्कूल की तरफ से किया जाता है । संस्था की संस्थापक ललिता करमचंदानी ने कहा कि शहर के हर नागरिक को इस तरह की पाठशाला को चलाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए।
संस्था के संरक्षक डॉ.आशीष त्रिपाठी ने अपने गीतों से सब श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। संस्था की तरफ से बच्चों के लिए आशिंक सहयोग और अतिथियों को पौधे उपहार दिए गएऔर बच्चो के एक पहल द्वारा अतिथियों का स्वागत स्मृति चिह्न देकर किया गया।
कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। श्रुति सिंहा, प्रेमा कंवर, आशा मेंहदीरत्ता, डा महेश धाकड़, शीनू कोहली आदि । पाठशाला के पदाधिकारी बरखा राय, अंकित खंडेलवाल, धीरज अरोड़ा, इभा अग्रवाल, सभी ने कार्यक्रम को सुंदर ढंग से कार्यान्वित किया।
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रंग लाती है हिना पत्थर से पिस जाने के बाद।
सुर्ख रूह होता है इंसान ठोकरें खाने के बाद।।
मेहंदी का रंग प्राप्त करने के लिए उसको पत्थर पर पिसा जाता है, तब लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं, ठीक उसी तरह मनुष्य जो जितना “दर्द अथवा कठिन कर्म” करता है, लोग उसी की तरफ आकर्षित होते हैं।