*द्वापर में तुम आए कान्हा, कलयुग में भी आओ न.
*उत्तर प्रदेश विश्व मैत्री मंच की काव्य गोष्ठी हुई कृष्णमय*
आगरा। उत्तर प्रदेश विश्व मैत्री मंच की प्रांतीय अध्यक्ष साधना वैद जी के आवास पर एक कृष्णमय काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। वन्दना चौहान ने सरस्वती वंदन किया।
डॉ.सुषमा सिंह ने नज़ीर अकबराबादी का कृष्ण कन्हैया का बालपन सुना कर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया। रूह से प्रकाशन से सम्बद्ध नीलम रानी गुप्ता ने कृष्ण के भजन सुनाए। डॉ.रेखा गौतम ने कृष्ण से संवाद स्थापित किया और एक समसामयिक कविता प्रस्तुत की कि बेटों को संस्कारित किया जाना चाहिए। डॉ.हेमलता सुमन ने दोहों में माता का महिमामंडन किया और महाचिति के आभामंडल के प्रभाव का वर्णन किया।
चारुमित्रा ने कृष्ण को भक्तिमय प्रणाम निवेदित कर वहशी पुरुषों को दुष्कर्मों के लिए दंडित करने का आह्वान किया और हिन्दी के महत्व को प्रतिपादित किया। वन्दना चौहान ने कन्हैया पर एक घनाक्षरी और एक भक्तिमय ग़ज़ल प्रस्तुत की।डॉ. रेखा कक्कड़ ने एक मल्हार और एक कजरी का सस्वर गायन किया। पूजा आहूजा कालरा ने कृष्ण जन्म पर बहुत सुन्दर गीत गाया और बेटियों के जीवन के मनभावन चित्र प्रस्तुत किए।मीता माथुर की विचारात्मक गंभीर रचनाएँ पसन्द की गयीं।
दीपा मंगल ने गद्य में अपने विचार रखे। ’द्वापर में तुम आए कान्हा, कलयुग में भी आओ न’ गा कर कृष्ण को आज की परिस्थितियों में कर्तव्य का भान कराने का प्रयत्न किया। साधना वैद ने बदली हुई परिस्थितियों में कृष्ण से गोकुल न आने की बात कही क्योंकि उन्हें कुछ भी वैसा नहीं मिलेगा जैसा वे छोड़ कर गए थे। चुनौतियाँ बढ़ गई हैं—
“ यहाँ साधू संत और भद्र जन का मुखौटा पहने कितने कंस, कितने राक्षस, कितने असुर अपनी वंशबेल बढ़ा रहे हैं, ऐसे में कितने कंसों का वध करोगे?”
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